गूगल और कांटार की नई रिपोर्ट “ब्रिजिंग द गैप: रीइमैजिनिंग न्यूज फॉर जेन-ज़” ने खुलासा किया है कि जेनरेशन-ज़ (15-28 वर्ष) की खबरों के साथ जुड़ाव का तरीका तेजी से बदल रहा है। 40 देशों और 8 भाषा समूहों में 4,000 से अधिक जेन-ज़ युवाओं पर आधारित इस अध्ययन में पाया गया कि 91% युवा सोशल मीडिया और 88% वीडियो प्लेटफॉर्म को खबरों का प्रमुख स्रोत मानते हैं।
हमेशा ऑनलाइन, पुश-बेस्ड पीढ़ी
- 96% जेन-ज़ डिजिटल नेटिव हैं।
- 65% के लिए खबरें खोजने का तरीका इंसीडेंटल डिस्कवरी है—यानी स्क्रॉल करते समय अचानक दिखना।
- सोशल मीडिया और शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म उनके सबसे बड़े न्यूज़ सोर्स हैं।
क्रिएटर्स बनाम न्यूज़ ऑर्गनाइजेशन
- जेन-ज़ के फीड में खबरें क्रिएटर्स, न्यूज़ संस्थानों और मीम पेजों का मिश्रण होती हैं।
- 48% युवा निच या सिविक क्रिएटर्स को फॉलो करते हैं, जबकि 43% न्यूज़ संस्थानों को।
- ध्यान खींचने में क्रिएटर्स आगे हैं, लेकिन विश्वास के मामले में पारंपरिक मीडिया संस्थान (47%) आगे रहते हैं।
भाषा और फॉर्मेट
- आर्टिकल पढ़ने में 42% अंग्रेज़ी पसंद करते हैं।
- वीडियो (56%) और ऑडियो (57%) में स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता।
वजह: समझने में आसान (62%), परिवार- दोस्तों से साझा करना आसान (62%) और भावनात्मक जुड़ाव (55%)।
AI का इस्तेमाल बढ़ा
- 84% जेन-ज़ जनरेटिव AI का इस्तेमाल खबरों को बेहतर समझने के लिए करते हैं।
- इसमें जल्दी जवाब पाना (43%), जटिल विषय सरल करना (38%) और अनुवाद करना (36%) प्रमुख कारण हैं।
विशेषज्ञों की राय-
कांटार के बिस्वप्रिय भट्टाचार्य के मुताबिक, “यह पीढ़ी केवल खबरें नहीं ले रही, बल्कि अपने हिसाब से उन्हें क्यूरेट कर रही है। उन्हें खबरें विश्वसनीय, विजुअली एंगेजिंग और भावनात्मक जुड़ाव वाली चाहिए।”
गूगल इंडिया की दुर्गा रघुनाथ ने कहा, “जेन-ज़ संस्कृति और बातचीत को सक्रिय रूप से आकार दे रही है। उन्हें सही, भरोसेमंद और भावनात्मक रूप से जुड़ने वाली खबर चाहिए। न्यूज़रूम को उनके डिजिटल जीवन के मुताबिक कहानी कहने का तरीका अपनाना होगा।”