नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ (Tariff Impact) को लेकर दावा करते आ रहे हैं कि इससे राजस्व में वृद्धि होगी और अमेरिकियों को लाभ मिलेगा. लेकिन येल यूनिवर्सिटी के बजट लैब द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, टैरिफ ज्यादा अमेरिकियों को गरीबी की ओर धकेल सकते हैं.
विश्लेषण में पाया गया है कि ट्रंप द्वारा टैरिफ में की गई बढ़ोतरी से 2026 तक गरीबी में रह रहे अमेरिकियों की संख्या में लगभग 10 लाख की वृद्धि हो सकती है. इस अध्ययन में आधिकारिक गरीबी माप का उपयोग किया गया है, जो प्री-टैक्स आय के आधार पर गरीबी की गणना करता है.
अमेरिकी जनगणना ब्यूरो ने बताया था कि पिछले साल के अंत तक 3.6 करोड़ लोग गरीबी में जी रहे थे. आय में जीवन-यापन की लागत के अनुरूप वृद्धि होने से गरीबी दर 0.4 प्रतिशत अंक घटकर 10.6 प्रतिशत रह गई.
बजट लैब ने अधिक व्यापक माप, पूरक गरीबी माप का विश्लेषण करने पर पाया कि गरीबी में भी वृद्धि होगी. पूरक गरीबी माप में खाद्य, बच्चों की देखभाल, चिकित्सा और अन्य खर्चों को शामिल किया जाता है. इसके अनुसार गरीबी दर 2026 में 12 से बढ़कर 12.2% हो जाएगी.
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि टैरिफ और उससे जुड़ी कीमतों में बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा असर कम आय वाले परिवारों पर पड़ता है. कम संपन्न परिवार उच्च आय वालों की तुलना में अपनी आय का ज्यादा हिस्सा जीवन-यापन पर खर्च करते हैं, जिसका मतलब है कि वे कीमतों में बदलाव के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं. निम्न आय वाले परिवार अक्सर उच्च आय वाले परिवारों की तुलना में आयातित उत्पाद ज्यादा खरीदते हैं जिससे उनपर टैरिफ वृद्धि का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा.
इस तरह हट सकता है ट्रंप टैरिफ
अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि ट्रंप द्वारा लगाए गए ज्यादातर टैरिफ अभी कानूनी रूप से अधर में हैं. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप के वैश्विक टैरिफ पर बहस सुनने पर सहमति जताई है. इससे ट्रंप को उम्मीद है कि न्यायाधीश निचली अदालत के उस फैसले को पलट देंगे जिसमें देशों के खिलाफ लगाए गए टैरिफ को रद कर दिया गया था. अगर सुप्रीम कोर्ट इन टैरिफ को अवैध घोषित कर देता है, तो 2025 में लगाए गए टैरिफों में से ज्यादातर (71 प्रतिशत) हट जाएंगे.