जमशेदपुर। डिमना चौक स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज परिसर में बने नए अस्पताल में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स (एमआर) की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
साथ ही, चिकित्सकों को अस्पताल की ही दवाएं लिखने का निर्देश दिया गया है। यह फैसला हाल ही में अस्पताल में हुई नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की जांच के बाद लिया गया है, जिसमें एमआर को परिसर में घूमते हुए पाया गया था। इसपर आयोग ने नाराजगी जताई और तत्काल सख्त निर्देश जारी किए।
अधिकारी स्तर पर तुरंत कार्रवाई करते हुए अधीक्षक डॉ. आरके मंधान ने एमजीएम अस्पताल परिसर में एमआर की आवाजाही पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है।
उन्होंने कहा है कि यदि कोई एमआर अस्पताल में घूमते या किसी चिकित्सक से संपर्क करते हुए पाया जाता है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कदम मरीजों के हित और अस्पताल की छवि को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
सभी विभागाध्यक्षों को दिया निर्देश
अधीक्षक ने इस संदर्भ में सभी विभागाध्यक्षों को लिखित निर्देश भी जारी किया है। उन्होंने कहा है कि सभी डॉक्टरों को अस्पताल में उपलब्ध दवाएं ही मरीजों को लिखनी होंगी। इसे लेकर सभी विभागाध्यक्षों को अस्पताल में मौजूद दवाओं की सूची भी सौंपी गई है। ताकि किसी तरह की संशय की स्थिति नहीं रहें।
अधीक्षक ने कहा है कि बिना कारण अस्पताल के बाहर की महंगी दवाएं लिखना मरीजों पर आर्थिक बोझ डालता है और इससे अस्पताल की साख भी प्रभावित होती है।
मरीजों को लिखी जा रही महंगी दवाएं
हाल के वर्षों में कई एमआर अस्पताल परिसर में बेरोकटोक घूमते देखे गए थे। इससे यह आशंका बनी रहती है कि बाहर की कंपनियों के दबाव में महंगी दवाएं मरीजों को लिखी जा रही हैं। एनएमसी की टीम ने निरीक्षण के दौरान इसे गंभीर अनियमितता माना और इस पर तत्काल रोक लगाने की सिफारिश की।
एमजीएम को एक जिम्मेदार शिक्षण अस्पताल के रूप में स्थापित करना है। हम सब मिलकर इसकी छवि को सुधार सकते हैं, जो भी नियमों का उल्लंघन करेगा, उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई तय है। – डॉ. आरके मंधान, अधीक्षक, एमजीएम