नई दिल्ली. अमेरिका ने हाल ही में भारतीय गहनों पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है. इसका सीधा असर भारतीय ज्वैलरी एक्सपोर्टर्स पर पड़ना तय था, लेकिन भारतीय कंपनियों ने इसका तोड़ भी खोज लिया. अमेरिकी टैरिफ नियमों के अनुसार, अगर कच्चा माल अमेरिका से भारत भेजा जाता है और फिर वहीं से तैयार होकर वापस लौटता है, तो उस पर कोई भारी-भरकम ड्यूटी नहीं लगती. इसी नियम का फायदा उठाते हुए भारतीय कंपनियां ट्रंप सरकार के नए टैक्स को मात दे रही हैं.
गोल्डियाम इंटरनेशनल का अनोखा फॉर्मूला
‘इंडिया डॉटकॉम’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक गोल्डियाम इंटरनेशनल लिमिटेड इस रणनीति का इस्तेमाल कर रही है. कंपनी अमेरिका से सोना और अन्य कच्चा माल आयात करती है, भारत में इसे गहनों के रूप में तैयार करवाती है और फिर उसे अमेरिका वापस भेज देती है. सोने का बेसिक प्रोसेसिंग अमेरिका में ही हो जाता है, जिससे यह ‘अमेरिकी मूल’ का उत्पाद बना रहता है. इसके बाद भारत में इसे चमकाया जाता है और हीरे जड़े जाते हैं. नतीजा यह होता है कि 50 फीसदी भारी शुल्क की बजाय सिर्फ 5.5 फीसदी की ड्यूटी लगती है, जो केवल अतिरिक्त वैल्यू एडिशन पर लागू होती है. इससे कंपनी अपनी मार्जिन, वॉल्यूम और मार्केट दोनों सुरक्षित रख पाती है.
छोटों से मिलेगी कड़ी चुनौती
इस रणनीति ने गोल्डियाम को अपने छोटे और असंगठित प्रतिस्पर्धियों पर बढ़त दिला दी है. जहां छोटे ज्वैलर्स को ऊंचे टैरिफ की वजह से मुनाफा कमाने में दिक्कत हो रही है, वहीं गोल्डियाम कम लागत में अमेरिकी बाजार की मांग पूरी कर रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस तरीके से कंपनी न केवल अपने एक्सपोर्ट को सुरक्षित कर रही है बल्कि लागत घटाकर ग्राहकों को भी बेहतर दामों पर ज्वैलरी उपलब्ध करा रही है.
इस रणनीति ने गोल्डियाम को अपने छोटे और असंगठित प्रतिस्पर्धियों पर बढ़त दिला दी है. जहां छोटे ज्वैलर्स को ऊंचे टैरिफ की वजह से मुनाफा कमाने में दिक्कत हो रही है, वहीं गोल्डियाम कम लागत में अमेरिकी बाजार की मांग पूरी कर रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस तरीके से कंपनी न केवल अपने एक्सपोर्ट को सुरक्षित कर रही है बल्कि लागत घटाकर ग्राहकों को भी बेहतर दामों पर ज्वैलरी उपलब्ध करा रही है.
ग्लोबल मार्केट में गोल्डियाम की पकड़
1986 में स्थापित गोल्डियाम इंटरनेशनल पहले ही अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों के बड़े रिटेलर्स को ज्वैलरी सप्लाई करता है. इसके डायमंड-स्टडेड गोल्ड, सिल्वर और प्लेटिनम ज्वैलरी अमेरिकी ग्राहकों के बीच खास लोकप्रिय हैं. कंपनी का कहना है कि यह रणनीति न केवल एक्सपोर्ट्स को बचाएगी बल्कि आने वाले समय में ग्लोबल ज्वैलरी मार्केट में उनकी पकड़ और मजबूत करेगी. इस तरह भारतीय कंपनियों ने दिखा दिया कि नियमों को समझकर बड़े टैक्स से भी बचा जा सकता है.