India 6th Gen Fighter Jet Deal: भारत का नाम फाइटर जेट्स की ताकत से जुड़ते ही पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ जाती है. राफेल आने के बाद ही इस्लामाबाद में खौफ साफ झलकने लगा था, लेकिन अब हालात और गंभीर हो सकते हैं. वजह है यूरोप का €100 अरब का 6th-Generation Fighter Jet प्रोजेक्ट. इसमें भारत की संभावित एंट्री की चर्चा जोर पकड़ रही है. अगर भारत इस डील का हिस्सा बनता है तो पाकिस्तान के लिए इंडियन एयरफोर्स का सामना करना लगभग नामुमकिन हो जाएगा.
फ्रांस और जर्मनी के बीच इस प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा टकराव चल रहा है. दोनों देश काम के बंटवारे पर सहमत नहीं हो पा रहे. नतीजा यह है कि जर्मनी नए पार्टनर की तलाश कर रहा है और यही भारत के लिए सुनहरा अवसर साबित हो सकता है. अगर भारत इस प्रोजेक्ट में शामिल होता है तो उसे भविष्य की सबसे खतरनाक टेक्नोलॉजी मिलेगी… एक ऐसा फाइटर जेट जो राफेल से भी कई गुना ताकतवर होगा.
€100 अरब का फाइटर जेट प्रोजेक्ट क्या है?
इस प्रोजेक्ट का नाम है FCAS (Future Combat Air System). इसका मकसद 2040 तक एक ऐसी नेक्स्ट-जनरेशन एयर पावर तैयार करना है जो न सिर्फ स्टेल्थ टेक्नोलॉजी से लैस होगी बल्कि ड्रोन-स्वॉर्म, AI कंट्रोल और हाईपर-कनेक्टेड ‘क्लाउड कॉम्बैट सिस्टम’ का हिस्सा होगी.
इस प्रोजेक्ट का नाम है FCAS (Future Combat Air System). इसका मकसद 2040 तक एक ऐसी नेक्स्ट-जनरेशन एयर पावर तैयार करना है जो न सिर्फ स्टेल्थ टेक्नोलॉजी से लैस होगी बल्कि ड्रोन-स्वॉर्म, AI कंट्रोल और हाईपर-कनेक्टेड ‘क्लाउड कॉम्बैट सिस्टम’ का हिस्सा होगी.
- दासो (फ्रांस): नेक्स्ट-जनरेशन फाइटर (NGF) डिजाइन
- एयरबस (जर्मनी/स्पेन): ड्रोन और क्लाउड टेक्नोलॉजी
- सफरान (फ्रांस): इंजन
- इंद्रा (स्पेन): सेंसर
लेकिन इस समय मामला अटका है क्योंकि फ्रांस का दासो NGF पर 80% हिस्सेदारी चाहता है. वहीं जर्मनी इसे बराबर बांटना चाहता है.
भारत को क्यों मिल सकता है मौका?
जर्मनी ने साफ कहा है कि अगर साल के अंत तक फ्रांस से बात नहीं बनी तो वह नए पार्टनर से हाथ मिलाएगा. ब्रिटेन पहले से ही जापान और इटली के साथ GCAP प्रोजेक्ट में है. वहीं स्वीडन का साब (Saab) भी विकल्प है. लेकिन भारत एक ऐसा देश है जिसके पास
जर्मनी ने साफ कहा है कि अगर साल के अंत तक फ्रांस से बात नहीं बनी तो वह नए पार्टनर से हाथ मिलाएगा. ब्रिटेन पहले से ही जापान और इटली के साथ GCAP प्रोजेक्ट में है. वहीं स्वीडन का साब (Saab) भी विकल्प है. लेकिन भारत एक ऐसा देश है जिसके पास
- मजबूत रक्षा उद्योग,
- राफेल और सफरान के साथ मौजूदा साझेदारी,
- और चीन-पाकिस्तान का मुकाबला करने की रणनीतिक जरूरत है.
यही वजह है कि भारत को इसमें शामिल करने की संभावना खुली हुई है.
पाकिस्तान क्यों हो जाएगा बेबस?
चीन पहले ही 300 से ज्यादा J-20 फाइटर जेट्स तैनात कर चुका है और 2035 तक 1000 बनाने का लक्ष्य रखता है. पाकिस्तान चीन से J-35 लेने की फिराक में है. अगर भारत के पास 6th-Gen जेट्स आ जाते हैं तो पाकिस्तान की वायुसेना तकनीकी और ऑपरेशनल दोनों स्तर पर बहुत पीछे छूट जाएगी. राफेल की एंट्री ने ही पाकिस्तान को रक्षात्मक बना दिया था. 6th-Gen जेट्स आने पर पाकिस्तान की तुलना भारत से करना ही बेमानी होगा.
भारत का AMCA और FCAS का लिंक
भारत खुद का 5th-Gen फाइटर AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) बना रहा है. लेकिन यह प्रोजेक्ट 2035 तक ही ऑपरेशनल हो पाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि AMCA और FCAS की टेक्नोलॉजी को जोड़कर भारत भविष्य की एयर पावर का हब बन सकता है.
एयर मार्शल (रिटा.) अनिल चोपड़ा का कहना है- भारत को तुरंत 6th-Gen टेक्नोलॉजी पर काम शुरू करना होगा. FCAS से जुड़ने का मतलब है कि हम चीन और पाकिस्तान से कई दशक आगे हो जाएंगे.