भागलपुर. जिले में आई बाढ़ ने आम मरीजों के लिए अस्पताल का रास्ता बंद कर दिया है. बाढ़ से प्रभावित होने वाले लोगों की इलाज की सुविधा बाढ़ राहत कैंप में उपलब्ध कराई गई है. बात सबौर प्रखंड की करें तो वहां कुल 22 स्वास्थ्य उपकेंद्र एवं अतिरिक्त केंद्र के माध्यम से ग्रामीणों को इलाज की सुविधा दी जाती है. अभी इस संख्या में दस अस्पतालों के अंदर बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है. परिणामस्वरूप अस्पताल में संचालित होने वाली ओपीडी सड़क किनारे चल रही है. इस बीच जहां रोड किनारे ओपीडी का संचालन हो रहा है, वहां रोजाना औसतन एक सौ से ज्यादा मरीज इलाज कराने आ रहे हैं.
इन अस्पतालों में बाढ़ का पानी ने किया प्रवेश
सबौर प्रखंड में संचालित 22 सरकारी अस्पतालों में से 10 में पानी का प्रवेश कर चुका है. इसमें स्वास्थ्य उप केंद्र परघरी, लैलख, कुरपट, अमजर, बैजलपुर, बैजनाथपुर, इग्लिस, बाबुपुर, अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र ममलखा शामिल है.
दवाएं हटाई गईं, शेष नुकसान का पता बाढ़ के बाद
इन सरकारी अस्पतालों से दवाओं को वहां से हटाकर ऊंची जगह पर रख दिया गया है, लेकिन जहां दवाएं रखी गई थीं वहां भी बाढ़ का पानी आ गया है. इसके अलावा अस्पताल में जो उपकरण, फर्नीचर समेत अन्य चीजें हैं उन्हें हटाना संभव नहीं था. ऐसे में अस्पताल के अंदर पानी आने से सभी सामग्री तैर रही है. अब जब बाढ़ का पानी हटेगा तो पता चलेगा कितनी क्षति हुई है.
ममलखा अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र में लबालब पानी
अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र ममलखा में सबसे ज्यादा बाढ़ का पानी ने प्रवेश किया है. ऐसे में इस अस्पताल के सामने ऊंचाई पर जो सड़क है वहां ओपीडी सेवा का संचालन किया जा रहा है. इसके अलावा चलंत वाहन का भी संचालन हो रहा है. जिसमें सीएचओ एवं नर्स मरीजों को दवा दे रहे है. औसत दोनों जगहों पर सौ से ज्यादा मरीज इलाज कराने आ रहे है. वहीं अन्य अस्पताल जहां इलाज संभव नहीं है. वहां कार्य करने वाली नर्स को सबौर हाई स्कूल एवं खानकित्ता में लगे बाढ़ राहत शिविर में ड्यूटी पर लगाया गया है.
बाढ़ के कारण दस अस्पतालों में पानी ने प्रवेश कर गया है. वहां के डाक्टर एवं नर्स बाढ़ राहत कैंप में मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ममलखा में सड़क किनारे ओपीडी का संचालन किया जा रहा है. मरीजों को इलाज की सुविधा मिले इसको लेकर प्रयास किया जा रहा है. – जावेद मंजूर, हेल्थ मैनेजर
कहलगांव में गंगा हुई स्थिर, बाढ़ की स्थिति जस की तस
कहलगांव में रविवार रात से गंगा स्थिर हो गई है. बावजूद इलाके में बाढ़ की स्थिति जस की तस बनी हुई है. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार अभी गंगा का जलस्तर 32 मीटर 83 मीटर पर है. जो खतरे के निशान से 1 मीटर 74 सेंटीमीटर ऊपर है. मंगलवार से जलस्तर में कमी होने का अनुमान है.
इधर, तोफिल, अनठावन, बीरबन्ना, दयालपुर, कुटी टोला, नया टोला गंगलदई, पकड़तल्ला, ओगरी, रामनगर बनरा बगीचा, सेतपुरा कुलकुलिया, आमापुर, त्रिमोहन, मार्कण्डेय टोला, पक्कीसराय, आमापुर बड़ी, पन्नुचक, घोघा पंचायत, जानीडीह पंचायत, प्रशस्तडीह आदि पंचायतों के कई गांव एवं कहलगांव नगर के राजघाट रोड, पंपु घाट रोड, काली घाट, कागजी टोला में सैकड़ों परिवार बाढ़ से प्रभावित हैं. सभी का घर जलमग्न हो चुका है. प्रशासन की ओर से कुछ जगहों पर सामुदायिक किचन शुरू किया गया है पर यह पर्याप्त नहीं है. बाढ़ पीड़ित राहत के लिए टकटकी लगाए हुए हैं.
आमापुर के ग्रामीण भूदेव मंडल ने कहा कि चलौ हमरो घोर देखी ल, घरों में पानी भरलो छै. आज तक कुछुओ नय मिललो छै. कोय पूछै वाला देखै वाला नय छै. मुखियो नय आवै छै. यही हाल अन्य जगहों के पीड़ितों का है. एकचारी महगामा पथ पर बह रहे बाढ़ के पानी में जान हथेली पर रख कर लोग पैदल एवं वाहन से आ जा रहे हैं. कहलगांव ओगरी पथ की भी यही स्थिति है.
चांय टोला एनटीपीसी पथ, मजदहा फोर लेन, तौफिल, अनठावन, बीरबन्ना पथ पर आवागमन बंद है. अंचलाधिकारी सुप्रिया ने बताया कि बीरबन्ना एवं घोघा में दस जगहों पर सामुदायिक किचन का संचालन शुरू कर दिया गया है. प्रशस्तडीह, पक्कीसराय, भोलसर एवं किसानदासपुर पंचायत में मंगलवार से सामुदायिक किचन शुरू किया जाएगा.
पांच दिन बाद आए पेट भरी क खैलिए
बाढ़ो म घर डुबला के बाद चार पांच दिनों से रूखा-सूखा सत्तू-चूड़ा खाए रिहे. आय खना दाल भात भरी पेट शिविरों में खइलां. यह बात बाढ़ में डूबे तोफिल-अनठावन गांव के लोगों ने कही. बाढ़ प्रभावित इस पंचायत में दो जगहों पर प्रशासन की ओर से सामुदायिक किचन रविवार की शाम से शुरू किया गया है. हालांकि अभी तक स्वास्थ्य शिविर शुरू नहीं हुआ है. शुद्ध पानी और शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है.